बुद्धिजीवी.....
बुद्धिजीवी..... बुद्धिजीवीओं के गिरोह का इस समय बडा आतंक है,दहशत है और चारों तरफ इन्हीं के नाम की धमक है। एक ज़माना था जब चंबल में डाकू होते थे अब तो ठंड के इस मौसम में कंबल में डाकू हैं और वे यही बुद्धिजीवी हैं। कुछ कहा नहीं जा सकता कि कौन बुद्धिजीवी है। आप जिससे बडी दोस्ती से,यारी से,प्यार से बात कर रहे हैं हो सकता है कि वही बुद्धिजीवी निकल जाए---कुछ नहीं कहा जा सकता,कोई भी बुद्धिजीवी निकल सकता है। चंबल के डाकुओं और इन बुद्धिजीवियों में कुछ समानताएं हैं और वह यह कि दोनों लूटने का काम करते हैं। दोनों भेस बदलते रहते हैं हां एक बात जरूर है कि डाकुओं की ये नई किस्म पुराने और असल डाकुओं से ज्यादा खूंखार,घातक और बहुरुपिया है। पहले डाकू घोडे पर चढ़ कर आते थे और उनके नाम में भी डाकुओं वाली अकड़ होती थी जैसे गब्बर सिंह,सुल्ताना,डाकू मंगल सिंह वगैरह। अबके इन डाकुओं के नाम में तो अकड नहीं होती लेकिन वे इन डाकुओं से भी ज्यादा खतरनाक हैं। उनके नाम तो बड़े मधुर और संगीत की धुन की तरह हो सकते हैं दरअसल यही उनका ट्रेड मार्क भी होता है। वे कलाकारों जैसा नाम र